उत्तराखंड: आधार कार्ड के पते ने कई स्थानीय लोगों को बनाया बाहरी, पुश्तैनी जमीन पर संकट

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हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर भू-कानून के सख्त पालन के लिए जिला प्रशासन सक्रिय हुआ। जिलाधिकारी सविन बंसल ने सभी उप-जिलाधिकारियों को आदेश दिया कि जमीन की खरीद में नियमों के उल्लंघन की रिपोर्ट तैयार की जाए।

भू-कानून लागू करने के दौरान आधार कार्ड में दर्ज बाहरी राज्यों के पते की वजह से कई स्थानीय लोग भी बाहरी मान लिए गए। रोजगार या नौकरी के कारण बाहर गए लोग इस नियम की चपेट में आ गए। जिला प्रशासन ने इन्हें राज्य से बाहर का निवासी मानते हुए उनकी पुश्तैनी जमीनों पर सरकारी कब्जे का आदेश जारी कर दिया।

अब सुनवाई के दौरान ये भूस्वामी अपने दस्तावेज पेश कर उत्तराखंड का निवासी होने का सबूत दे रहे हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर भू-कानून के सख्त पालन के लिए जिला प्रशासन सक्रिय हुआ। जिलाधिकारी सविन बंसल ने सभी उप-जिलाधिकारियों को आदेश दिया कि जमीन खरीद में नियमों के उल्लंघन की रिपोर्ट तैयार की जाए।

नियमों को ताक पर रखकर जमीन खरीद

ऐसे बाहरी लोगों की सूची बनाई जा रही है, जिन्होंने जानकारी छिपाकर देहरादून और आसपास के इलाकों में 250 वर्ग मीटर से अधिक आवासीय, या नियमों के खिलाफ कृषि व औद्योगिक भूमि खरीदी। जांच में पता चला कि 393 लोगों ने नियमों का उल्लंघन कर जमीन खरीदी, जिनमें से लगभग 300 मामलों में कार्रवाई हो चुकी है। करीब 200 हेक्टेयर भूमि को राज्य सरकार में निहित कर नोटिस जारी किए गए, ताकि संबंधित लोग अपना पक्ष रख सकें। इस प्रक्रिया में कई राज्यवासी भी गलती से इस सूची में शामिल हो गए हैं।

पता बदलते ही बदल गया कानून

हजारों उत्तराखंडी लोग रोजगार और व्यवसाय के लिए राज्य से बाहर गए हैं। कई लोग वहां पांच से सात साल बिताने के कारण अपने आधार कार्ड में बाहरी पते दर्ज करा चुके हैं। जब प्रशासन ने ऐसे भूस्वामियों की जांच की, तो आधार कार्ड के पते को ही पहचान का आधार बना लिया। इसी के आधार पर तय किया गया कि कौन राज्य का निवासी है और कौन बाहरी। बाहरी पता दर्ज होने के कारण कई स्थानीय लोगों के लिए नियम बदल गए, जिससे उन्हें अपने दस्तावेज लेकर हाजिर होना पड़ा और यह साबित करना पड़ा कि सरकार जिस जमीन पर कब्जा करने की तैयारी कर रही है, वह वास्तव में उनकी पुश्तैनी संपत्ति है।

भू-कानून के उल्लंघन से जुड़े मामलों में सभी को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जा रहा है। किसी को राज्य से बाहरी निवासी साबित होने के बाद ही उसकी जमीन सरकार के अधीन की जाएगी।

– सविन बंसल, जिलाधिकारी, देहरादून