“पापा, आपने खाना खा लिया? आप सो जाओ, मैं भी सोने जा रही हूं” – और सुबह आई कामाक्षी के निधन की खबर

Dehradun Uttarakhand

देहरादून के ओएनजीसी चौक हादसे में मारी गई 20 साल की कामाक्षी अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। उसने 30 अक्टूबर को सीए का पेपर दिया था।

“पापा, आपने खाना खा लिया? आप सो जाओ, मैं भी सोने जा रही हूं…” ये वो आखिरी शब्द थे जो कामाक्षी ने सोमवार रात को अपने पिता से कहे थे। सुबह जब उनकी आंख खुली, तो एक फोन आया, और उसमें कामाक्षी के निधन की खबर थी। इकलौती बेटी को खोने के बाद, कामाक्षी के पिता उसी आखिरी बातचीत को याद कर रो रहे हैं।

वो अपनी बेटी की काबिलियत को हर पल याद कर रहे हैं। कुछ ही दिन पहले उसने सीए का पेपर दिया था, और पिता को पूरा यकीन था कि उनकी बेटी सीए बन जाएगी। हादसे में मारी गई कामाक्षी के पिता तुषार सिंघल पेशे से वकील हैं और वर्तमान में टैक्सेशन अधिवक्ता बार संघ के अध्यक्ष भी हैं।

जानकारी के मुताबिक, सोमवार रात कामाक्षी की दोस्त गुनीत भी उसके घर पर रुकी थी। दोनों पहले युवा महोत्सव में पवनदीप का कार्यक्रम सुनने गई थीं और फिर रात में घर लौट आईं। तुषार सिंघल ने कोरोनेशन अस्पताल में पुलिस अधिकारी और अन्य परिजनों को कामाक्षी की सोमवार रात की बातें बताईं। उन्होंने कहा कि रात में कामाक्षी ने आवाज लगाकर पूछा था, “पापा, आपने खाना खा लिया तो सो जाओ, मैं भी सोने जा रही हूं।” लेकिन कब वह घर से बाहर चली गई, इसका पता ही नहीं चला।

30 नवंबर को ही दिया था सीए का पेपर

सुबह जब फोन आया तो आंख खुली। खबर सुनकर सबसे होश फाख्ता हो गए। साथ में मौजूद गुनीत की भी मौत हो गई। कामाक्षी एक निजी विवि से बीकॉम की पढ़ाई कर रही थी। उसने गत 30 नवंबर को ही सीए का पेपर दिया था।

बेटी की काबिलियत पर था विश्वास 

तुषार सिंघल कहते हुए रो पड़ते हैं कि उन्हें अपनी बेटी की काबिलियत पर पूरा विश्वास था। वह एक दिन जरूर सीए बनती और जल्द ही परिवार का सहारा भी बनती। लेकिन, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

मौत ने बुलाया कामाक्षी और गुनीत को

युवा महोत्सव से लौटने के बाद कामाक्षी और गुनीत घर पहुंच गई थीं। यह स्पष्ट नहीं है कि वे पहले से ही अपने अन्य दोस्तों के साथ थीं या नहीं। लेकिन इतना जरूर है कि वे घर लौटीं और चुपचाप, बिना किसी को बताए, दोस्तों के साथ कार में चली गईं। परिवार को भी इसकी जानकारी नहीं थी। सब उन्हें याद करते हुए यही कह रहे हैं कि मानो उन्हें मौत ने ही वहां बुलाया था।

मेरी बेटी आईसीयू में है, जल्दी मिलवाओ

कामाक्षी के मृत शरीर को श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल लाया गया था, जहां उसकी मां भी मौजूद थीं। लेकिन उन्हें यह नहीं बताया गया था कि कामाक्षी की मृत्यु हो चुकी है। वे बार-बार यही कह रही थीं कि उनकी बेटी आईसीयू में है और जल्दी ठीक होकर उनसे मिलने आएगी।