उत्तराखंड में पहली बार दो साल पहले महिला फायरकर्मियों की भर्ती की गई थी। आवश्यक योग्यताएं और परीक्षा पास करने के बाद, इस साल जनवरी में उत्तराखंड फायर सर्विस को 260 महिला फायरकर्मियों का पहला बैच मिला।
शक्ति के पर्व पर उत्तराखंड पुलिस की महिला रेस्क्यूअर (बचावकर्मी) को नहीं भुलाया जा सकता। ये रेस्क्यूअर शहर में आग लगने से लेकर पहाड़ों और खाइयों में फंसे लोगों को निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। हम यहां अग्निशमन विभाग और एसडीआरएफ की महिला पुलिसकर्मियों की बात कर रहे हैं।
इस साल इन दोनों विंग का हिस्सा बनी इन महिलाओं ने अपनी कार्यकुशलता साबित की है। उन्होंने यह दिखाया है कि वे केवल अपराधियों से ही नहीं लड़ती, बल्कि अगर अवसर मिले तो आग से भी निपट सकती हैं। हजारों मीटर गहरी खाई में गिरे लोगों की मदद के लिए कूदने में भी उन्हें कोई संकोच नहीं होता।
अग्निशमन विभाग में पहली बार भर्ती हुई 260 महिलाएं
महिला पुलिसकर्मी विभिन्न विंग का हिस्सा कई सालों से हैं। लेकिन उत्तराखंड में महिला फायरकर्मियों की भर्ती दो साल पहले पहली बार की गई थी। आवश्यक योग्यताएं और परीक्षा पास करने के बाद, इस साल जनवरी में उत्तराखंड फायर सर्विस को 260 महिला फायरकर्मियों का पहला बैच मिला। आवश्यक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद, इन्होंने पुरुष फायरकर्मियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया, और इनमें से अधिकांश को फील्ड में तैनात किया गया।
तब से अब तक इन महिलाओं ने शहर और उसके आसपास सैकड़ों अग्निकांड पर नियंत्रण पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सैकड़ों पीएसआई के प्रेशर से पानी फेंकने वाले हॉज पाइप को पकड़े हुए, जब ये महिलाएं आग पर पानी की बौछार करती हैं, तो दृश्य किसी युद्ध में तलवार थामे योद्धाओं जैसा प्रतीत होता है। अब तक कई जीवन रक्षक पुकारों पर लोगों की सहायता करने में इन महिलाओं का कौशल अत्यंत सराहनीय रहा है।
केदारनाथ और बदरीनाथ में बतौर रेस्क्यूअर तैनात रहीं महिलाएं
राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) में भी इस साल महिलाओं को शामिल किया गया है। वर्तमान में 25 महिलाओं को एसडीआरएफ का हिस्सा बनाया गया है। इन्हें आवश्यक प्रशिक्षण देने के बाद ऊंचाई वाले स्थानों पर रेस्क्यूअर के रूप में तैनात किया गया। ये महिलाएं केदारनाथ और बदरीनाथ के अत्यंत खतरनाक इलाकों में भी तैनात रही हैं।
यहां इन्होंने न केवल यात्रा को सुचारू बनाने में अपनी क्षमताएं दिखाई, बल्कि कई जीवन रक्षक पुकारों पर फंसे यात्रियों को भी आपदा से बाहर निकाला। इन महिलाओं को एसडीआरएफ में विभिन्न प्रकार का प्रशिक्षण दिया गया है। वर्तमान में, कुछ महिलाएं मुख्यालय में तैनात हैं, जबकि अन्य अभी भी इन स्थानों पर कार्यरत हैं।