उत्तराखंड कांग्रेस: मेहनत कार्यकर्ता करें, कप्तान बनें नेता; प्रैक्टिस में गायब, फाइनल में हाजिर

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कांग्रेस के जिलाध्यक्षों की दिल्ली में हुई बैठक में शुक्रवार को उत्तराखंड पर चर्चा हुई। नैनीताल जिले से भी संगठन को पार्टी को मजबूत करने के सुझाव दिए गए। इन सुझावों के साथ यह भी बताया गया कि कांग्रेस कैसे कुछ जगहों पर जीत के करीब आकर भी हार गई।

अगले लोकसभा चुनाव और विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के उद्देश्य से दिल्ली में जिलाध्यक्षों की बैठक हुई। शुक्रवार को इस बैठक में उत्तराखंड पर चर्चा की गई। नैनीताल जिले से संगठन के सामने पार्टी को मजबूत करने के लिए कई सुझाव रखे गए। साथ ही यह भी बताया गया कि कांग्रेस कई सीटों पर जीत के करीब पहुंचकर भी कैसे हार गई।

बैठक में यह मुद्दा भी उठाया गया कि पार्टी के भीतर कुछ लोग स्लीपर सेल की तरह काम कर रहे हैं, जिससे संगठन में कई सवाल खड़े हो गए। नैनीताल की ओर से यह भी कहा गया कि कई बार जो नेता पहले दिखते तक नहीं हैं, वे अचानक जिम्मेदारी संभाल लेते हैं, जबकि लगातार मेहनत करने वाले जमीनी कार्यकर्ता सिर्फ दर्शक बनकर रह जाते हैं।

जिलाध्यक्ष नैनीताल, राहुल छिमवाल को बैठक में अपनी बात रखने के लिए सिर्फ दो मिनट का समय मिला। इतने कम वक्त में ही उन्होंने कांग्रेस की हालत को खुलकर सामने रख दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि संगठन की जो कमजोरी समय के साथ बढ़ती गई है, उसे दूर किए बिना पार्टी में जान नहीं आ सकती। उन्होंने कहा कि पार्टी तभी फिर से मजबूत हो सकती है, जब संगठन को असली ताकत दी जाए।

उन्होंने याद दिलाया कि 1970 के दौर में जिला कमेटियों को काफी महत्व दिया जाता था—टिकट वितरण में उनकी राय सबसे अहम मानी जाती थी। लेकिन अब हालात ये हो गए हैं कि टिकट बांटने की प्रक्रिया में जिलाध्यक्ष की बात सबसे आखिर में सुनी जाती है।

नए चेहरों को टिकट देने के मुद्दे पर भी जिलाध्यक्ष ने सुझाव दिया और पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को क्रिकेट के उदाहरण से समझाया। उन्होंने कहा कि कई लोग मेहनत और तैयारी के वक्त यानी “प्रैक्टिस मैच” में नजर नहीं आते, लेकिन जब असली मुकाबला होता है, तो वही लोग सीधे कप्तान बनकर मैदान में उतरते हैं। उनका इशारा उन लोगों की ओर था जो केवल अपने प्रभाव से टिकट पा जाते हैं।

 

उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई पदाधिकारी अपने पद से हटता है, तो उसे सिर्फ “भूतपूर्व” बना देने की बजाय कोई नई जिम्मेदारी दी जानी चाहिए, ताकि वह पार्टी के लिए सक्रिय बना रहे। इसके साथ ही उन्होंने मांग की कि अगर कोई जनप्रतिनिधि संगठन के खिलाफ बोलता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार जिला कमेटी को दिया जाना चाहिए।

दिखाई कांग्रेस की वास्तविक तस्वीर

दिल्ली की बैठक में कई राज्यों के जिलाध्यक्ष शामिल रहे। हर किसी को अपनी अपनी बात रखनी थी। नैनीताल ने जो तस्वीर पेश की निसंदेह वही स्थिति अन्य जगहों की भी होगी। नैनीताल में जो कुछ चल रहा है और जीतते जीतते, हारने का वस्तविक कारण भी इस सुझाव व शिकायत ने सामने ला दिया है।