उत्तराखंड लोकसेवा आयोग से चुने गए प्रवक्ताओं की वरिष्ठता को लेकर विवाद चल रहा है। कुछ शिक्षक इस मामले को पहले ही हाईकोर्ट ले गए हैं। वहीं अधिकरण ने कहा है कि अलग-अलग सालों में आयोग द्वारा नियुक्त किए गए इन प्रवक्ताओं को एक साथ संयुक्त वरिष्ठता दी जानी चाहिए।
शिक्षक उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर विभाग ने अधिकरण का फैसला लागू किया, तो कुछ प्रधानाचार्य अपने पद से नीचे आ जाएंगे। वे यह भी कहते हैं कि वरिष्ठता का यह मामला पहले से ही हाईकोर्ट में लंबित है।
शिक्षा विभाग में 2005-06 और 2006-07 में उत्तराखंड लोकसेवा आयोग से चयनित प्रवक्ताओं की वरिष्ठता को लेकर विवाद है। कुछ शिक्षक इस मामले को पहले ही हाईकोर्ट ले जा चुके हैं। अधिकरण ने कहा है कि अलग-अलग सालों में चुने गए इन प्रवक्ताओं को एक साथ संयुक्त वरिष्ठता दी जानी चाहिए।
प्रवक्ता कल्याण समिति से जुड़े शिक्षकों का कहना है कि अधिकरण के इस फैसले के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। सवाल यह है कि क्या विभाग 2006-07 में नियुक्त प्रवक्ताओं को 2005-06 के अनुसार वरिष्ठता देगा या फिर 2005-06 में नियुक्त प्रवक्ताओं को 2006-07 के अनुसार वरिष्ठता दी जाएगी।
शिक्षक यह भी उठा रहे सवाल
वरिष्ठता सूची को एक करना कितना व्यावहारिक होगा एवं अंतिम रूप से (संशोधित) सूची 2009 में जारी हुई थी तो क्या सभी चयनित प्रवक्ताओं को 2009 से वरिष्ठता मिलेगी।
महिला संवर्ग में नियुक्ति पाए अभ्यर्थियों की संयुक्त सूची आयोग ने 2005 से अब तक जारी ही नहीं की है तो उनकी वरिष्ठता कैसे तय होगी।
-विभागीय वरिष्ठता सूची से जो प्रवक्ता एक दशक से पहले पदोन्नति पाकर प्रधानाचार्य बन चुके हैं क्या उन्हें विभाग पदावनत करेगा।