उत्तराखंड में जबरन मतांतरण पर अब 10 साल की सजा, राजभवन ने लगाई धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक पर मुहर

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उत्तराखंड में जबरन मतांतरण पर अब कठोर कानून अस्तित्व में आ गया। राजभवन की उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक पर मुहर लगने के बाद संशोधित अधिनियम की राह साफ हो गई।

10 साल तक कारावास के साथ अधिकतम 50 हजार जुर्माना:
अब सामूहिक मतांतरण के मामलों में 10 साल तक कारावास के साथ अधिकतम 50 हजार जुर्माना राशि का प्रविधान किया गया है। जबरन मतांतरण अब गैर जमानती अपराध होगा। वहीं मतांतरण के पीडि़त को समुचित प्रतिकर के रूप में पांच लाख रुपये की राशि न्यायालय के माध्यम से दिलाई जा सकेगी।

सजा और कारावास, दोनों में वृद्धि की गई:
उत्तराखंड में मतांतरण पर पहले लागू कानून को अब और सख्त किया गया है। कानून का उल्लंघन करने पर सजा और कारावास, दोनों में वृद्धि की गई है। यह संशोधन सामूहिक मत परिवर्तन के मामले में किया गया है।
दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मत परिवर्तन को सामूहिक मत परिवर्तन की श्रेणी में रखा गया है। सामूहिक मत परिवर्तन में कारावास की अवधि तीन वर्ष से कम नहीं होगी। यह अधिकतम 10 वर्ष तक हो सकेगी। पहले जुर्माना राशि 25 हजार रुपये तय थी। इसे बढ़ाकर 50 हजार रुपये किया गया है।

मत परिवर्तन के संबंध में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करा सकेंगे:
संशोधित कानून के अनुसार कोई भी पीडि़त व्यक्ति या उसके माता-पिता या भाई-बहन जबरन यानी किसी दबाव या प्रलोभन के अंतर्गत मत परिवर्तन के संबंध में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करा सकेंगे। व्यक्ति की अनुमति के बिना उसे मत परिवर्तन को विवश करने अथवा षडयंत्र रचने पर अब संशोधित सजा की अवधि दो वर्ष और अधिकतम सात वर्ष की गई है।
जुर्माना राशि 25 हजार रुपये की गई है। पहले ऐसे मामलों में न्यूनतम एक साल और अधिकतम पांच साल की सजा और न्यूनतम 15 हजार रुपये जुर्माने का प्रविधान था। अव्यस्क महिला या अनुसूचित जाति-जनजाति के संबंध में धारा-तीन का उल्लंघन करने पर न्यूनतम सजा दो साल और अधिकतम सात वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष की गई है।
यही नहीं स्वेच्छा से मत परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को 60 दिन पहले इसकी जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष घोषणा करनी होगी। संशोधित अधिनियम में समस्त अपराध गैर जमानती और सत्र न्यायालय में विचारणीय होंगे।

मदरसों का विशेष सर्वे कराएगी सरकार : धामी
मदरसों में स्कूली शिक्षा की जगह हो रही अन्य गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पुलिस विभाग को जिम्मेदारी सौंपी है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से मदरसों का विशेष सर्वे कराया जा रहा है। सर्वे को आगे बढ़ाने का काम पुलिस का होगा।
मुख्यमंत्री ने यह बात गुरुवार को पुलिस मुख्यालय में ‘उत्तराखंड पुलिस मंथन चुनौतियां एवं समाधान’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम के उद्घाटन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि देखने में आया है कि विभिन्न स्थानों से आकर लोग यहां बस जाते हैं और इनमें से कुछ लोग अवांछनीय गतिविधियों में लिप्त हो जाते हैं, यह चिंता का विषय है।
पुलिस बाहर से उत्तराखंड में बसने वाले ऐसे तत्वों की पहचान करे और कुछ गड़बड़ी मिलती है तो सख्त कार्रवाई भी करे। सीएम ने कहा कि अवांछित तत्वों पर रोक लगाने के लिए पुलिस को विशेष अभियान चलाने की जरूरत है।
ताकि देवभूमि का जो स्वरूप है, वह बना रहे। यदि कोई कानून व्यवस्था को बिगाड़ने का प्रयास करता है तो सख्त कार्रवाई की जाए। बाहरी लोगों के सत्यापन का अभियान लगातार चलाया जाए।