आरटीई के अंतर्गत निर्धन और वंचित वर्गों के बच्चों को बड़ी राहत, पढ़ें अन्‍य फैसले

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प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के अंतर्गत निर्धन और वंचित वर्गों के बच्चों के निजी स्कूलों में प्रवेश में बड़ी बाधा सरकार ने दूर की है। पुष्कर सिंह धामी मंत्रिमंडल ने प्रति बालक प्रतिमाह शिक्षण शुल्क की प्रतिपूर्ति दर वर्तमान शैक्षिक सत्र 2022-23 से 1383 रुपये से बढ़ाकर 1893 रुपये की है। शिक्षण शुल्क में प्रतिमाह 510 रुपये की वृद्धि होने से निजी स्कूलों में अधिक संख्या में छात्र-छात्राओं के प्रवेश लेने का रास्ता साफ हो गया है। शुल्क कम होने का मामला उठाते हुए निजी विद्यालयों में बच्चों के प्रवेश में कम रुचि दिखानी शुरू कर दी थी।

बैठक में 19 बिंदुओं पर लिए गए निर्णय:
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सोमवार सांय सचिवालय में हुई बैठक में 19 बिंदुओं पर निर्णय लिए गए। विधानसभा सत्र घोषित होने के कारण मंत्रिमंडल के फैसलों को ब्रीफ नहीं किया गया। सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल ने आरटीई के अंतर्गत प्रदेश में निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत अपवंचित एवं कमजोर वर्गों के बच्चों को प्रवेश देना अनिवार्य है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा-12 (2) एवं उत्तराखंड निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली, 2011 के नियम-13(2) में निजी स्कूलों को प्रति बच्चा प्रतिमाह शुल्क की प्रतिपूर्ति की जा रही है।

प्रतिपूर्ति की राशि बढ़ाकर 1893 रुपये करने का निर्णय:
अभी तक 1383 रुपये प्रतिमाह प्रति छात्र की दर से प्रतिपूर्ति का भुगतान किया जा रहा था। मंत्रिमंडल ने प्रतिपूर्ति की राशि बढ़ाकर 1893 रुपये करने का निर्णय लिया है। निजी स्कूल शासन के आला अधिकारियों और शिक्षा विभाग के साथ बैठक में प्रतिपूर्ति कम होने का विषय कई बार उठा चुके हैं। प्रतिपूर्ति बढ़ाने की मांग पर कार्यवाही नहीं होने पर कई निजी स्कूलों ने कमजोर और वंचित वर्गों के बच्चों में प्रवेश देने में आनाकानी प्रारंभ कर दी थी।
प्रदेश के 13 जिलों में निजी स्कूलों में चालू शैक्षिक सत्र 2022-23 में आरटीई के अंतर्गत 33672 सीट आरक्षित हैं। इनमें से 19779 सीट पर प्रवेश हो पाए। 13,893 सीट रिक्त बताई जा रही हैं। मंत्रिमंडल के इस निर्णय से निजी स्कूलों विशेष रूप से अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को बड़ी राहत मिली है। प्रदेश में आरटीई की व्यवस्था के अनुसार निजी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की संख्या लगभग एक लाख तक पहुंच चुकी है। मंत्रिमंडल के निर्णय से इन सभी बच्चों को राहत मिलेगी।

कैबिनेट के प्रमुख निर्णय:
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