Dehradun: कुख्यात हाकम सिंह फंसा सख्त नकलरोधी कानून में, दोषी होने पर हो सकती है उम्रकैद

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इस कानून के तहत गिरोह बनाकर नकल या पेपर लीक कराने वालों को उम्रकैद की सजा और 10 करोड़ रुपये तक जुर्माने का कठोर प्रावधान रखा गया है।

उत्तराखंड में पेपर लीक का बड़ा आरोपी हाकम भले ही पहले 13 महीने बाद सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर बाहर आ गया था, लेकिन इस बार वह सख्त नकलरोधी कानून की गिरफ्त में आ गया है। इस कानून में नकल या पेपर लीक कराने वाले गिरोहों के लिए उम्रकैद और 10 करोड़ रुपये तक जुर्माने का कठोर प्रावधान है।

 

हाकम के काले कारनामों की चर्चा करते ही जुलाई 2022 की वह स्थिति याद आती है, जब लगातार पेपर लीक की घटनाओं से प्रदेश के युवा दहशत में थे। उस समय जांच में लगी एसटीएफ भी हैरान रह गई थी। जैसे-जैसे मामले खुलते गए, वैसे-वैसे हाकम पर कई मुकदमे दर्ज होते गए।

जांच के बाद सबसे पहले अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 5 दिसंबर 2021 को हुई स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा, 16 से 21 जुलाई 2021 के बीच ऑनलाइन आयोजित वन दरोगा भर्ती और 26 सितंबर 2021 को हुई सचिवालय रक्षक परीक्षा को निरस्त किया। इसके बाद जब और गड़बड़ियां सामने आईं तो वाहन चालक, अनुदेशक, कार्यशाला अनुदेशक, मत्स्य निरीक्षक, मुख्य आरक्षी पुलिस दूरसंचार और पुलिस रैंकर्स भर्ती परीक्षाएं भी रद्द करनी पड़ीं।

नए कानून के शिकंजे में फंसा हाकम

पहले हाकम पर पुलिस ने कई धाराएं लगाई थीं, लेकिन उस समय नकल संबंधी कानून में इतने सख्त प्रावधान नहीं थे। अब वह उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम एवं उपाय) अध्यादेश 2023 के तहत शिकंजे में आ गया है। इस कानून के अनुसार यदि कोई व्यक्ति, परीक्षा केंद्र का प्रबंधन, कोचिंग संस्थान, प्रिंटिंग प्रेस या परीक्षा आयोजन से जुड़े लोग पेपर लीक या नकल जैसे अनुचित साधनों में दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें आजीवन कारावास और 10 करोड़ रुपये तक जुर्माने की सजा दी जा सकती है। प्रदेश में अब यह अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती और अशमनीय माना जाएगा।

पेपर लीक के बाद ऑनलाइन नहीं हो पाई भर्ती

पेपर लीक प्रकरण दो तरह के थे। पहले ऑफलाइन परीक्षाओं के पेपर सीधे प्रिंटिंग प्रेस से लीक करना और दूसरा ऑनलाइन भर्ती परीक्षा में सेंध। आयोग ने वन दरोगा की भर्ती परीक्षा 16 से 21 जुलाई 2021 के बीच ऑनलाइन कराई थीं। इसमें 83 हजार से ज्यादा अभ्यर्थी शामिल हुए थे लेकिन हाकम ने इसका भी पेपर लीक कर दिया था। नतीजा ये हुआ कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने ऑनलाइन परीक्षाओं से ही तौबा कर ली। इसके बाद कोई भर्ती परीक्षा ऑनलाइन मोड में नहीं हुई।