उत्तराखंड बजट: कैशलेस और मुफ्त इलाज के लिए बढ़े हुए बजट की आवश्यकता, जानें प्रमुख अपेक्षाएँ

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उत्तराखंड में 18 से 24 फरवरी के बीच बजट सत्र का आयोजन होगा, और इस सत्र से कई अपेक्षाएं जुड़ी हुई हैं। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से करीब 200 से ज्यादा हितधारकों से सुझाव प्राप्त किए गए हैं।

आयुष्मान और गोल्डन कार्ड धारकों के मुफ्त और कैशलेस इलाज के साथ-साथ स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए अतिरिक्त बजट की आवश्यकता है। इन कार्ड धारकों का इलाज साल दर साल महंगा होता जा रहा है। बजट की कमी के कारण अस्पतालों पर देनदारी का दबाव बढ़ता जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप कई बड़े अस्पताल इलाज की सुविधा देने में असमर्थ हो रहे हैं।

इस वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार ने आयुष्मान योजना के लिए बजट में 25 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। हालांकि, मुफ्त इलाज पर खर्च 600 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है। आयुष्मान कार्ड धारकों को राज्य में हर नागरिक को पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज की सुविधा मिलती है।

इसके अलावा आयुष्मान योजना में ही राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना (एसजीएचएस) कर्मचारियों व पेंशनरों को गोल्डन कार्ड पर कैशलेस इलाज की सुविधा है। जिसमें इलाज पर खर्च होने वाली राशि कोई सीमा नहीं है। इसके लिए कर्मचारियों व पेंशनरों से अंशदान लिया जाता है। लेकिन इसमें इलाज का खर्च प्राप्त अंशदान से दोगुना हो गया है।

अंशदान से मिल रहे 120 करोड़, इलाज का खर्च 200 करोड़ से ज्यादा

प्रदेश सरकार ने 2021 में कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए गोल्डन कार्ड योजना के तहत कैशलेस इलाज की सुविधा शुरू की, जो कि एक अंशदान आधारित योजना है। हर महीने कर्मचारियों और पेंशनरों से अंशदान के रूप में 120 करोड़ रुपये प्राप्त हो रहे हैं, जिनसे अस्पतालों को भुगतान किया जाता है। हालांकि, अंशदान की तुलना में इलाज पर होने वाला खर्च 200 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। गोल्डन कार्ड योजना के लिए सरकार द्वारा कोई बजट नहीं दिया जाता, और इलाज के खर्च में वृद्धि के कारण देनदारी 100 करोड़ रुपये तक पहुँचने वाली है।

नये मेडिकल कॉलेजों के निर्माण को भी चाहिए बजट

केंद्र सरकार की एक जिला एक मेडिकल कॉलेज योजना के तहत प्रदेश में रुद्रपुर व पिथौरागढ़ में मेडिकल कॉलेज का निर्माण कार्य चल रहा है। 90:10 के हिस्सेदारी के रूप में मेडिकल कॉलेजों के लिए 325 करोड़ केंद्र सरकार की ओर से दिया जा रहा है। जबकि निर्माण लागत की शेष राशि प्रदेश सरकार को देना है। इसके अलावा प्रदेश में कई स्वास्थ्य केंद्रों का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, उप जिला चिकित्सालय में उच्चीकरण किया जा रहा है। इसके बुनियादी ढांचे, चिकित्सा उपकरण के लिए बजट की दरकार है।

निशुल्क जांच व दवाइयां

प्रदेश सरकार की ओर से सरकारी अस्पतालों में 270 तरह की पैथोलॉजी निशुल्क की जा रही है। अब तक 24 लाख मरीजों की निशुल्क जांच की गई। इसके अलावा अस्पतालों में दवाइयां भी मुफ्त दी जा रही है।

प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं व अवस्थापना विकास कार्यों के लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 में बजट बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा गया है। चालू वित्तीय वर्ष में भी प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र का बजट बढ़ाया था। उम्मीद है कि इस बार भी स्वास्थ्य के लिए बजट में बढ़ोतरी होगी। -डॉ. आर. राजेश कुमार, सचिव स्वास्थ्य