शनिवार को उत्तराखंड के टिहरी जिले के बूढ़ाकेदार क्षेत्र में भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई। हालांकि, तिनगढ़ गांव को समय पर खाली करवा लिया गया था, जिससे बड़े पैमाने पर जनहानि को टाला जा सका। इस गांव में 50 परिवार निवास कर रहे थे, जिन्हें राहत शिविर में सुरक्षित स्थानांतरित कर दिया गया।
तीन घंटे बाद ही गांव के ऊपर भूधंसाव हुआ, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 15 मकान धराशायी हो गए। मौत से बचकर निकले ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को धन्यवाद कहा। वहीं, अपने घरों को उजड़ते देख पीड़ितों के चेहरों पर गहरी चिंता और दुख साफ नजर आ रहा है; कई लोग अपने रिश्तेदारों से मिलकर जोर-जोर से रो पड़े।
आपदा प्रभावित ग्राम तोली में भूस्खलन के कारण एक कमरे में सो रही मां-बेटी मलबे के नीचे दबकर मौत के मुंह में चली गईं। इस घटना के बाद राहत और बचाव टीम तुरंत मौके पर पहुंची। राहत कार्यों का निरीक्षण करने के लिए घनसाली विधायक शक्तिलाल शाह और डीएम मयूर दीक्षित भी घटनास्थल पर पहुंचे।
उन्होंने तोली में हुए नुकसान का आकलन किया और फिर तिनगढ़ गांव की ओर बढ़े। तिनगढ़ गांव के पास स्थित उच्च प्राथमिक स्कूल भिगुन में भी मलबा घुस चुका था। गांव का निरीक्षण करने के बाद, जिलाधिकारी ने खतरे को देखते हुए लगभग 12 बजे गांव को खाली करवाया और निवासियों को इंटर कालेज में शिफ्ट कर दिया। कुछ समय बाद, अपराह्न तीन बजे के आसपास, तिनगढ़ गांव के ऊपर से भूस्खलन शुरू हो गया।
गांव के 12 से 15 आवासीय मकान करीब सौ मीटर ऊपर से आए मलबे के नीचे दब गए। ग्रामीणों ने बताया कि यदि समय पर मकान खाली नहीं किए जाते, तो बड़ी जनहानि हो सकती थी। उन्होंने प्रशासनिक टीम को धन्यवाद कहा। एसडीएम अपूर्वा सिंह ने पुष्टि की कि भूस्खलन के कारण तिनगढ़ में लगभग 15 मकान मलबे में दब गए हैं।
बारिश से अब भी खतरा बना हुआ है। गांव के सभी घर खाली करा दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि गांव के कई लोग अपने रिश्तेदारी में गए हैं, जबकि 51 लोग राहत शिविर में रह रहे हैं। नुकसान की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। तोली गांव के आपदा प्रभावित वीरेंद्र शाह को फौरी राहत के रूप में नौ लाख 35 हजार रुपये का चेक प्रदान किया गया है।