सरकारी डॉक्टरों का खेल: STH डॉक्टरों की मदद से निजी लैब में सैंपलों की जांच

Health Uttarakhand

सुशीला तिवारी अस्पताल में डॉक्टर कमीशन का खेल खेलते हुए मरीजों की जेब पर डाका डालती हैं। निजी डायग्नोसिस सेंटरों के कर्मचारी अस्पताल में खुद जांचों के सैंपल ले जा रहे हैं।

कुमाऊं के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल सुशीला तिवारी अस्पताल में डॉक्टर को धरती पर भगवान का दूसरा रूप बताया जाता है, लेकिन कुछ धरती के भगवान मरीजों की जेब पर डाका डाल रहे हैं। निजी डायग्नोसिस सेंटरों के कर्मचारी अस्पताल में खुद जांचों के सैंपल ले जा रहे हैं। शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और सुरक्षा गार्डों ने सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के बाद ऐसे दो मामले पकड़े। डायग्नोसिस सेंटरों के प्रबंधकों को भी मौके पर बुलाया गया था, लेकिन वे माफी मांगने पर सख्त हिदायत देकर छोड़ दिए गए।

वास्तव में, निजी डायग्नोसिस सेंटरों के मालिकों को मरीजों से सैंपल लेने के लिए एसटीएच में आना सुरक्षित है। सूत्रों के अनुसार उन्हें कुछ डॉक्टरों की ओर से मदद मिल रही है। अस्पताल में कुछ डॉक्टरों ने ओपीडी के दौरान निजी डायग्नोसिस सेंटरों के पर्चे भी रख लिए हैं और मरीजों को जांच के लिए निजी लैबों में भेज दिया है। शुक्रवार सुबह एसटीएच में राउंड पर निकले प्राचार्य ने मरीज का सैंपल लेते हुए एक व्यक्ति को देखा। वह अचानक प्राचार्य को वहां देखकर पहले चुराने लगा, फिर वहां से भागने की तैयारी करने लगा। जब शिक्षक ने रुककर पूछा तो उसने बताया कि वह निजी लैब में काम करती है। अस्पताल के सुरक्षा गार्ड ने एक अन्य व्यक्ति को सैंपल लेते देखा और उसे पकड़ लिया। दोनों को सुरक्षा गार्ड के कमरे में बैठाकर विस्तृत पूछताछ की गई।

अस्पताल प्रशासन ने भी पुलिस को मौके पर बुला लिया। बाद में प्राचार्य ने डायग्नोसिस सेंटरों के प्रबंधकों को फोन करके अपनी चिंता व्यक्त की और उन्हें कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी। बाद में प्रबंधकों ने माफी मांगी और कहा कि वे भविष्य में ऐसा नहीं करेंगे। इस दौरान दोनों प्रबंधकों को लगभग 84 मिनट तक सुरक्षा कक्ष में रखा गया।

पहले भी आ चुके हैं मामले

यह दो मामले बुधवार को उजागर हुए जब प्राचार्य ने सुरक्षा पर कड़े निर्णय लिए और सुरक्षा गार्डों को नजर रखने को कहा। अस्पताल में पहले भी ऐसा होता रहा है। चार महीने पहले, एक युवक ने डॉक्टर की वर्दी में आकर डॉक्टरों का मोबाइल और लैपटाप चोरी कर लिया था। यही नहीं, मरीजों के मोबाइल चोरी के मामले भी दिन-प्रतिदिन बढ़ते रहते हैं।

निजी लैब में मरीज का सैंपल ले जाकर इस तरह की जांच कराना बहुत गंभीर है। ऐसे लोगों पर कड़ी नजर रखने के लिए सुरक्षा गार्डों को कड़ी हिदायत दी गई है। जल्द ही काफी बदलाव होना चाहिए। कॉलेज ऐसे मामले आने पर सख्त कार्रवाई तो करेगा। पुलिस भी कार्रवाई करेगी।
राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य, डॉ. अरुण जोशी