अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और मां मनसा देवी ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि तिरुपति बालाजी मंदिर में स्वयं भगवान विष्णु विराजमान हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के षड्यंत्र रचने वालों की जांच होनी चाहिए।
तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मछली का तेल और पशु की चर्बी के उपयोग की रिपोर्ट सामने आने पर हरिद्वार के संतों में भारी आक्रोश देखा गया। संत समाज ने इस घटना को आंध्र प्रदेश से जोड़ते हुए कहा कि यह सनातन के खिलाफ एक बड़ा षड्यंत्र है, जो पूरे देश में चल रहा है। अखाड़ा परिषद और आचार्य ने दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की है।
निरंजनी पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ने कहा कि लगभग 90 करोड़ भारतीय परंपरा के अनुयायी बालाजी पर विश्वास करते हैं। यदि इस मंदिर में कोई षड्यंत्र हुआ है, तो इसमें केवल देश के ही नहीं, बल्कि विदेशी और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल लोगों का हाथ भी हो सकता है। उन्होंने अयोध्या, काशी, मथुरा और शिरडी जैसे प्रमुख स्थानों से भी प्रसाद के नमूने लेने की आवश्यकता जताई।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और मां मनसा देवी ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान विष्णु स्वयं विराजमान हैं। उन्होंने ऐसे षड्यंत्र रचने वालों की जांच की मांग की। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि वह गृहमंत्री को पत्र लिखकर पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने और दोषियों को सार्वजनिक रूप से फांसी देने की मांग करेंगे।
श्रीमहंत ने कहा कि आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में देवस्थानम बोर्ड स्थापित है, जो पूरी तरह से अनभिज्ञ बना हुआ है। उन्होंने तत्काल प्रभाव से इस बोर्ड को भंग करने और सनातन रक्षा बोर्ड गठित करने की मांग की।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद महानिर्वाणी के अध्यक्ष और दक्ष प्रजापति मंदिर के श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि यदि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद के माध्यम से सनातन आस्था पर चोट पहुंचाने वालों को कड़ी सजा नहीं दी गई, तो ऐसे तत्वों का साहस और बढ़ता जाएगा।
उन्होंने कहा कि देशभर में सनातन धर्म के अनुयायी आहत हैं। महामंडलेश्वर रुपेंद्र प्रकाश, महामंडलेश्वर हरिचेतनानंद और अन्य संतों ने कहा कि अब सनातन की रक्षा के लिए संतों को आगे आना होगा। इसके लिए राष्ट्र के सभी संतों को चिंतन करने की आवश्यकता है।
