Uncategorized

सेना अस्पताल में भर्ती श्रमिक अनिल ने अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि कड़ाके की ठंड के कारण वे इन दिनों सुबह नौ बजे उठते थे। लेकिन शुक्रवार सुबह छह बजे अचानक जमीन में तेज कंपन हुआ, और उनके कंटेनर तेजी से नीचे की ओर खिसकने लगे।

माणा कैंप के पास आए बर्फीले तूफान ने कंटेनरों में सो रहे 55 मजदूरों को हिला कर रख दिया। यह उनके जीवन का सबसे डरावना अनुभव था। बर्फीले बवंडर की चपेट में आए लापता मजदूरों को जब सेना और आईटीबीपी के हिमवीरों ने सुरक्षित बाहर निकाला, तो उन्होंने जवानों का आभार जताते हुए कहा, “आप हमारे लिए बदरी विशाल के दूत बनकर आए हैं। जब हमने जिंदगी की उम्मीद छोड़ दी थी, तभी आपने हमें नया जीवन दिया।”

सेना अस्पताल ज्योतिर्मठ में भर्ती नारायणबगड़ के श्रमिक अनिल ने अपनी आपबीती बताई। उन्होंने कहा कि कड़ाके की ठंड के कारण वे इन दिनों सुबह नौ बजे उठते थे, लेकिन शुक्रवार सुबह छह बजे अचानक जमीन में तेज कंपन हुआ और उनके कंटेनर तेजी से नीचे की ओर खिसकने लगे।

पहले तो हमें समझ ही नहीं आया कि क्या हो रहा है। जब कंटेनरों की खिड़की से बाहर देखा, तो हर तरफ बर्फ के ढेर दिखाई दिए। धीरे-धीरे कंटेनरों की छत भी नीचे की ओर झुकने लगी। घबराकर सभी लोग मदद के लिए जोर-जोर से चिल्लाने लगे।

बवंडर के बाद हमें जीवित रहने की उम्मीद नहीं थी 

अनिल ने बताया कि कुछ लोग समय रहते कंटेनरों से बाहर निकलने में कामयाब हो गए, जबकि कई अंदर ही फंसे रह गए। थोड़ी देर बाद जब सेना के जवान नजर आए, तो ऐसा लगा जैसे वे बदरी विशाल के देवदूत बनकर आए हों। बर्फीले तूफान ने हमें इस तरह घेर लिया था कि हमें जिंदा बचने की कोई उम्मीद नहीं थी, लेकिन अब हम सुरक्षित ज्योतिर्मठ पहुंच चुके हैं।

बदरी विशाल की कृपा से सेना और आईटीबीपी ने हमें इस भयावह स्थिति से सुरक्षित बाहर निकाला। सेना अस्पताल में इलाज करा रहे घायल श्रमिकों ने बताया कि हिमस्खलन के समय कुछ लोग कच्चे टिनशेड के वाशरूम में थे, जो बर्फ के नीचे दब गए। वहीं, जो मजदूर कंटेनरों में थे, उनमें से अधिकतर सुरक्षित बच निकले।

हिमस्खलन में फंसे 50 मजदूर निकाले, चार की मौत, 5 की युद्धस्तर पर तलाश

माणा के पास भारी हिमस्खलन में फंसे 17 और श्रमिकों को शनिवार सुबह रेस्क्यू किया गया। उन्हें सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज जारी है। अब तक कुल 50 श्रमिकों को बचाया जा चुका है, जिनमें से चार की इलाज के दौरान मौत हो गई। सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और वायु सेना की टीमें बाकी पांच श्रमिकों की तलाश में तेजी से अभियान चला रही हैं। सेना के अनुसार, तीन कंटेनरों का कोई पता नहीं चल पा रहा है, क्योंकि वे भारी बर्फ के नीचे दबे हैं। उनकी खोज के लिए दिल्ली से जीपीआर रडार मंगाया गया है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी श्रमिकों की सुरक्षित निकासी को लेकर चिंतित हैं और लगातार स्थिति की जानकारी ले रहे हैं। मुख्यमंत्री के अनुसार, अब तक 50 श्रमिकों को सुरक्षित बचाया गया है। वहीं, पांच लापता श्रमिकों की तलाश के लिए युद्धस्तर पर रेस्क्यू अभियान जारी है।

पांच कंटेनर ट्रेस, तीन बर्फ में दबे

सीएम ने बताया कि राहत और बचाव दलों ने पांच कंटेनरों का पता लगाकर श्रमिकों को सुरक्षित निकालने में सफलता हासिल की है। हालांकि, भारी बर्फबारी के कारण तीन कंटेनरों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। इन्हें खोजने के लिए सेना और आईटीबीपी युद्धस्तर पर प्रयास कर रही हैं। सेना के स्निफर डॉग्स को भी तलाशी अभियान में लगाया गया है, और तीन टीमों द्वारा लगातार सघन पेट्रोलिंग की जा रही है। इसके अलावा, दिल्ली से ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार (जीपीआर रडार) मंगाया गया है, जो बर्फ के अंदर दबे कंटेनरों को ट्रेस करने में मदद करेगा।

इलाज के लिए है पूरा बंदोबस्त

सीएम ने बताया कि घायल श्रमिकों के इलाज के लिए पूरी व्यवस्था की गई है। माणा और ज्योतिर्मठ में सेना के अस्पतालों में उनका उपचार चल रहा है। साथ ही, एम्स ऋषिकेश, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज और स्थानीय सीएचसी-पीएचसी को अलर्ट पर रखा गया है।