धराली में बचाव कार्य तेजी से चल रहा है। मशीनें लोगों की जान बचाने में लगी हैं, जबकि परिजन अब भी अपने प्रियजनों के सकुशल होने की उम्मीद लगाए हुए हैं।
सोनीपत, हरियाणा के राम तीरथ के लिए धराली और हर्षिल में आई आपदा की भयावह तस्वीरें जिंदगी भर की याद बन गई हैं। वह अपनी पत्नी बबीता के साथ पिछले 24 घंटों से धराली के पास फंसे हुए थे। अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने बताया कि वे घूमने के इरादे से सोनीपत से यहां आए थे।
मंगलवार दोपहर करीब डेढ़ बजे अचानक चीख-पुकार मच गई और देखते ही देखते पूरा बाजार मलबे के नीचे दब गया। सौभाग्य से वे बाजार से थोड़ी दूरी पर थे, जिससे उनकी जान बच गई, लेकिन जो दृश्य उन्होंने अपनी आंखों से देखा, उसे भुला पाना उनके लिए बेहद मुश्किल है।
इसी दौरान जंगल के पास वन विभाग का एक कमरा नजर आया, जहां पहुंचकर उन्हें थोड़ी राहत मिली। हालांकि, डर और चिंता के बीच दोनों पति-पत्नी पूरी रात सो नहीं सके। सुबह उन्हें सेना के जवान मिले, जिनकी मदद से आपदा के 24 घंटे बाद हेलिकॉप्टर के जरिए उन्हें रेस्क्यू कर भटवाड़ी लाया गया। फिलहाल दोनों भटवाड़ी में ठहरे हुए हैं और आज सुबह अपने गांव के लिए रवाना होंगे।
झाला हर्षिल निवासी सुधीर रौतेला के मुताबिक आपदा के बाद से परिजनों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। सड़क मार्ग और मोबाइल नेटवर्क न होने की वजह से क्षेत्र के लोग अपनों को लेकर चिंतित हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि लापता लोग जिंदा होंगे।
धराली और हर्षिल में आपदा के बाद से कई लोग लापता है। बताया गया है कि कुछ लोग मलबे में दबे हैं। जिन्हें बचाने के लिए उत्तरकाशी से लेकर दिल्ली तक की पूरी मशीनरी जुटी हुई है। आपदा के बाद से हर्षिल में मौजूद सेना की कंपनी आपदा के बाद से ही राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई है।
