उत्तराखंड: भाजपा की तीसरी बार जीत, मगर वोट कम होने का मलाल

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भाजपा ने 75 प्रतिशत से अधिक वोटों का लक्ष्य रखा था, लेकिन चुनाव में पांच फीसदी से अधिक वोट गिर गए, इससे मंथन में कमजोरियां दिखाई देंगी।

भाजपा को उत्तराखंड में लोकसभा की पांचों सीटों पर लगातार तीसरी बार जीत मिलने पर खुशी है, लेकिन उसे वोटों की कमी की कसक भी साल रही है। पार्टी ने 75 प्रतिशत से अधिक वोट पाने का लक्ष्य बनाया था, लेकिन पिछले चुनाव की तुलना में उसे पांच प्रतिशत कम वोट मिले।

भाजपा का नेतृत्व चुनावी परिणामों का विश्लेषण करने के लिए बैठेगा और विधानसभावारों से बारीकी से विचार करेगा, जिससे उसकी कमजोरियों का पता चलेगा, जो उसके जनाधार में गिरावट का कारण बनीं। पार्टी ने चुनाव से पहले पांचों संसदीय सीटों पर 75 प्रतिशत से अधिक वोट पाने का लक्ष्य रखा था। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 61.87 प्रतिशत वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 31.74 प्रतिशत वोट मिले।

मजेदार बात यह है कि 2024 में भी 47 लाख से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। 2024 के चुनाव में भी इतने ही मतदाताओं ने मतदान किया, लेकिन वोट प्रतिशत के मामले में प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा पिछड़ गई। उसकी चुनाव जीतने की रणनीति तो काम कर गई, लेकिन जनाधार बढ़ाने के प्रयासों को झटका लगा।

2019 के चुनाव की तुलना में पांच फीसदी वोट घट गए
चुनाव आयोग से सोमवार रात करीब 10 बजे तक प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, भाजपा ने कुल 27,06,910 वोट प्राप्त किए और उसका मत प्रतिशत 56.81 रहा। कांग्रेस ने 15,64,258 वोट प्राप्त किए और उसका मत प्रतिशत 32.83 रहा। 2019 के चुनाव की तुलना में पांच फीसदी वोट घट गए।

 

लोकसभा क्षेत्रवार तुलना करने पर यह तथ्य भी सामने आया कि गढ़वाल सीट पर भाजपा ने 2019 में 67 फीसदी से अधिक वोट लिए थे, 2024 में यह 58.41 प्रतिशत रह गए। टिहरी में 64.3 प्रतिशत की तुलना में 53.66, हरिद्वार में 52.28 प्रतिशत की तुलना में 50.19, नैनीताल में भाजपा की सबसे बड़ी जीत हुई, लेकिन यहां पार्टी 2019 के 61.24 प्रतिशत की तुलना में 61.03 प्रतिशत वोट हासिल कर सकी।

लेकिन यही एक सीट थी, जहां भाजपा पहले से बहुत करीब थी। 2019 में भाजपा को अल्मोड़ा लोस सीट पर 63.54 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन 2024 में पार्टी 58.41 प्रतिशत पर गिर गई। भाजपा को हर सीट पर पिछले चुनाव से अधिक नुकसान हुआ।