पंचकूला सामूहिक आत्महत्या: जिस कार में मिले सात शव, वह दोस्त के नाम पर खरीदी थी; प्रवीण मित्तल कर रहे थे किस्तों का भुगतान

Uttarakhand

गंभीर सिंह नेगी ने पुलिस को सूचित किया कि वे अपने एनजीओ में कार्यरत रहते हुए प्रवीण मित्तल से मिले थे। काम के दौरान उनकी दोस्ती गहरी हो गई, और उसी सिलसिले में प्रवीण नेगी से कहने लगे कि वे उनके नाम पर एक कार खरीदना चाहते हैं।

पंचकूला में सामूहिक आत्महत्या करने वाला मित्तल परिवार कभी देहरादून में भी रहता था। पुलिस जांच में सामने आया कि प्रवीण मित्तल के पास से जो आधार कार्ड मिला, उसमें देहरादून के कौलागढ़ इलाके के पते (274 कौलागढ़) का जिक्र था। इसी आधार पर पंचकूला पुलिस ने देहरादून पुलिस को देर रात इस घटना की जानकारी दी।

 

एसपी अजय सिंह ने बताया कि मित्तल परिवार करीब तीन साल तक इस पते पर रहा, लेकिन लगभग एक साल पहले वह लोग वहां से चंडीगढ़ अपने पुराने घर में रहने चले गए थे। जिस कार में मित्तल परिवार के सदस्य मृत पाए गए, वह कार उनके दोस्त गंभीर सिंह नेगी के नाम पर रजिस्टर्ड है, जो मालदेवता, देहरादून के निवासी हैं।

 

गंभीर सिंह नेगी ने पुलिस को बताया कि उनकी मुलाकात प्रवीण मित्तल से तब हुई थी जब वे एक एनजीओ में काम कर रहे थे। दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई थी। इसी दौरान प्रवीण मित्तल ने कहा कि वे एक कार खरीदना चाहते हैं, लेकिन नेगी के नाम पर। नेगी ने हामी भर दी और कार फाइनेंस कर अपने नाम से खरीद ली। तब से यानी 2021 से प्रवीण मित्तल ही उस कार का इस्तेमाल कर रहे थे।

खुद के नाम पर कार फाइनेंस करा प्रवीण मित्तल को देने वाले गंभीर सिंह नेगी भी उनके इस कदम से बेहद आहत हैं। उनका कहना है कि मित्तल से उनके पारिवारिक संबंध थे। वर्ष 2021 में उन्होंने कहा था कि उनका यहां कोई जान-पहचान वाला नहीं है।

ऐसे हालात में प्रवीण मित्तल ने कार फाइनेंस कराने की बात कही। गंभीर सिंह नेगी ने अपने सीधे स्वभाव और आपसी जान-पहचान के चलते उनकी बात मान ली और कार अपने नाम पर फाइनेंस करवा दी। पिछले चार साल से भी ज्यादा वक्त से प्रवीण मित्तल नियमित रूप से गूगल पे के जरिए किश्तें जमा कर रहे थे। हालांकि, पिछले दो महीनों से कोई भी किश्त नहीं आई थी।

उनसे फोन पर बातें होती रहती थीं, लेकिन कभी इस बारे में चर्चा नहीं की। एक साल पहले उन्होंने बताया था कि वह चंडीगढ़ शिफ्ट हो गए हैं। किस्त बाउंस होने के बारे में अब भी वह पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि दो महीने से किस्त बाउंस हो रही थीं। मित्तल ने ऐसा कदम क्यों उठाया इस पर अब भी विश्वास नहीं कर पा रहा हूं। वह एनजीओ चलाते थे। इसके अलावा उनके किसी काम के बारे में जानकारी नहीं है।