यमुनोत्री धाम के पैदल मार्ग पर सोमवार को अचानक पहाड़ी से भूस्खलन होने से हड़कंप मच गया। इस हादसे में दो लोगों की जान चली गई थी। भारी बारिश के चलते रात करीब नौ बजे रेस्क्यू अभियान रोकना पड़ा। आज सुबह एक बार फिर से बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है।
यमुनोत्री धाम के पैदल मार्ग पर सोमवार को हुए भूस्खलन के बाद आज सुबह एक बार फिर से सर्च और रेस्क्यू अभियान शुरू किया गया है। नौकैंची के पास पहाड़ी से अचानक मलबा और बड़े-बड़े बोल्डर गिरने से कई लोग उसकी चपेट में आ गए थे। सोमवार देर शाम तक एक 12 वर्षीय लड़की समेत दो लोगों के शव बरामद कर लिए गए थे, जबकि एक घायल को इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया। अभी भी एक-दो लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका बनी हुई है। रात करीब नौ बजे भारी बारिश के चलते रेस्क्यू ऑपरेशन रोकना पड़ा था।
घटना की सूचना मिलते ही एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और पुलिस की टीमें मौके पर पहुंचीं। मलबे के नीचे दबे मुंबई निवासी रशिक को सुरक्षित निकालकर जानकीचट्टी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। मलबे में दबे अन्य लोगों की पहचान भी कर ली गई है।
मृतकों की हुई पहचान
हरिशंकर पुत्र ओमप्रकाश, उम्र 47 वर्ष, उत्तर प्रदेश
ख्याति पुत्री हरिशंकर, उम्र नौ साल, उत्तर प्रदेश
घायल की पहचान
रसिक भाई पुत्र वस राम भाई , प्रतापनगर वेस्ट मुंबई, महाराष्ट्र
गुमशुदा –
भाविका शर्मा पुत्री जॉय शर्मा, उम्र 11 वर्ष, दिल्ली
कमलेश जेठवा पुत्र कांतिबाई, उम्र 35 वर्ष, महाराष्ट्र
पैदल यात्रियों को रोका गया
मिली जानकारी के मुताबिक, जानकीचट्टी यमुनोत्री पैदल मार्ग पर 9 कैंची के पास रेस्क्यू कार्य शुरू होने के साथ ही सुरक्षा के लिहाज से और रेस्क्यू कार्य में व्यवधान उत्पन्न न होने के कारण यमुनोत्री धाम की पैदल यात्रा को सुरक्षित स्थानों पर रोका गया है। जानकीचट्टी चौकी प्रभारी गंभीर सिंह तोमर ने कहा कि जिला अधिकारी के पहुंचने पर भंडेली गाड़ यमुनोत्री वैकल्पिक मार्ग पर आवाजाही संचालित करने का निर्णय लिया जाएगा।
घटनास्थल के लिए यमुनोत्री विधायक रवाना
सुरक्षा के दृष्टिकोण से भंडेली गाड़-Yमुनोत्री वैकल्पिक पैदल मार्ग, जिसकी लंबाई करीब ढाई किलोमीटर है, भी काफी खतरनाक माना जा रहा है। घटना की गंभीरता को देखते हुए यमुनोत्री विधायक संजय डोभाल भी मौके पर पहुंचे।
26 जून तक प्रदेश में भारी बारिश का अलर्ट
मौसम विज्ञान विभाग ने 22 से 26 जून तक राज्य के देहरादून, नैनीताल, टिहरी, चंपावत में कहीं-कहीं पर भारी वर्षा होने की संभावना जताई है। इसके मद्देनजर यूएसडीएमए के अधीन राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (एसओईसी) ने संबंधित जिलों के डीएम को पत्र भेजकर सावधानी बरतने को कहा है। इसमें आपदा प्रबंधन आईआरएस के नामित अधिकारी व विभागीय नोडल अधिकारी अलर्ट पर रहेंगे।
बरसात में सुक्की के सात नाले गंगोत्री हाईवे पर बनेंगे मुसीबत
गंगोत्री हाईवे पर स्थित सुक्की के सात नालों पर वर्षों से बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) द्वारा कोई सुधार या सुरक्षात्मक कार्य नहीं किया गया है। हर बारिश के मौसम में ये नाले सड़क पर आवागमन में बड़ी बाधा बन जाते हैं। स्थानीय लोग कई बार प्रशासन और बीआरओ से यहां सुरक्षात्मक कदम उठाने की मांग कर चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
स्थानीय निवासी संजय राणा, मनोज नेगी, भागवत पंवार, दीपक राणा और अजय नेगी का कहना है कि गंगोत्री हाईवे, जो हर्षिल घाटी, गंगोत्री धाम और भारत-चीन सीमा को जोड़ने वाला एकमात्र मार्ग है, उस पर हर्षिल घाटी शुरू होने से पहले ही सात नाले बरसात के दौरान गंभीर परेशानी खड़ी कर देते हैं। इससे चारधाम यात्रियों के साथ-साथ आठ गांवों के ग्रामीणों और सेना व आईटीबीपी के जवानों को भी आवाजाही में दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं।
क्योंकि कई बार बरसात में इन नालों में जलस्तर बढ़ने और मलबा आने के कारण यह कई दिनों तक सड़क बंद रहती है। क्योंकि सड़क पर सात स्थानों पर एक साथ मलबा आने के कारण मशीनरी को इसे साफ करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं दूसरी ओर कई बार बारिश होने पर इन नालों में जलस्तर बढ़ने के कारण दोपहिया और छोटे वाहनों के बहने का खतरा भी बना रहता है। इसलिए स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन और बीआरओ से इन सात नालों में सुरक्षात्मक कार्य करने की मांग की है।
